Tuesday, 2 August 2016

श्री कृष्ण कृपा अमृत पाठ

श्री कृष्ण कृपा अमृत
वंदउँ सतगुरु के चरण, जाको कृष्ण कृपा सो प्यार।
कृष्ण कृपा तन मन बसी, श्री कृष्ण कृपा आधार॥

कृष्ण कृपा सम बंधु नहीं, कृष्ण कृपा सम तात।
कृष्ण कृपा सम गुरु नहीं, कृष्ण कृपा सम मात॥

रे मन कृष्ण कृपामृत, बरस रहयो दिन रैन।
कृष्ण कृपा से विमुख तूं, कैसे पावे चैन॥

नित उठ कृष्ण-कृपामृत, पाठ करे मन लाय।
भक्ति ज्ञान वैराग्य संग, कृष्ण कृपा मिल जाय ॥

आसा कृष्ण कृपा की राख।
योनी कटे चौरासी लाख॥

कृष्ण-कृपा जीवन का सार।
करे तुरंत भव सागर पार॥

कृष्ण-कृपा जीवन का मूल।
खिले सदा भक्ति के फूल॥

कृष्ण-कृपा के बलि बलि जाऊँ।
कृष्ण-कृपा में सब सुख पाऊँ॥


कृष्ण-कृपा सत-चित आनंद।
प्रेम भक्ति की मिले  सुगंध॥

कृष्ण-कृपा बिन शांति न पावे।
जीवन धन्य कृपा मिल जावे॥

सिमरो कृपा कृपा ही ध्याओ।
गाए-गाए श्री कृष्ण रिझाओ॥

असमय होय नही कोई हानि।
कृष्ण कृपा जो पावे प्राणी॥

वाणी का संयम बने,
जग अपना हो जाए।
तीन काल चहुँ दिशि में,
कृष्ण ही कृष्ण ही लखाय॥

कृष्ण-कृपा का कर गुण गान।
कृष्ण-कृपा है सबसे महान।।

सोवत जागत बिसरे नाहीं।
कृष्ण-कृपा राखो उर माहि
  
कृष्ण-कृपा मेटे भव भीत।
कृष्ण-कृपा से मन को जीत॥

आपद दूर-दूर ते भागे।
कृष्ण-कृपा कह नित जो जागे॥

सोवे कृष्ण-कृपा ही कह कर।
ले आनंद मोद हिय भरकर॥

खोटे स्वप्न तहाँ कोउ नाहिँ।
कृष्ण-कृपा रक्षक निसि माहिँ॥

खावे कृष्ण-कृपा मुख बोल।
कृष्ण-कृपा का जग में डोल 

कृष्ण-कृपा कह पीवे पानी।
परम सुधा सम होवे वानी॥

कृष्ण-कृपा को चाहकर,
भजन करो निस काम।
प्रेम मिले आनंद मिले,
होवे पूरण काम॥
  
कृष्ण-कृपा सब काम संवारे।
चिंताओं का भार उतारे॥

ईर्ष्या लोभ मोह-हंकार।
कृष्ण-कृपा से हो निस्तार॥

कृष्ण-कृपा शशि किरण समान ।
शीतल होय बुद्धि मन प्राण॥

कोटि जन्म की प्यास बुझावे।
कृष्ण-कृपा की बूंद जो पावे

कृष्ण-कृपा की लो पतवार 
झट हो जाओ भव से पार॥

कृष्ण-कृपा के रहो सहारे
जीवन नैया लगे किनारे ॥

कृष्ण-कृपा मेरे मन भावे 
कृष्ण-कृपा सुख सम्मति लावे

कृष्ण-कृपा की देखी रीत
बढ़े नित्य कान्हा संग प्रीत॥
  
कृष्ण-कृपा के आसरे,
भक्त रहे जो कोय।
वृद्धि होये धन-धान्य की,
घर में मंगल होये॥

कृष्ण-कृपा  जग मंगल करनी
कृष्ण कृपा ते पावन धरनी॥

तीन लोक में करे प्रकाशा।
कृष्ण-कृपा कह लेय उसासा

कृष्ण-कृपा जग पावनी गंगा
कोटि -पाप करती क्षण भंगा

कृष्ण-कृपा अमृत की धार
पीवत परमानन्द अपार॥

कृष्ण कृपा के रंगत प्यारी।
चढ़े प्रेम-आनंद खुमारी

उतरे नही उतारे कोय।
कृष्ण-कृपा  संग गहरी होय

मीरा,गणिका,सदन कसाई।
कृष्ण-कृपा  ते मुक्ति पाई

व्याध,अजामिल ,गीध,अजान।
कृष्ण-कृपा ते भये महान

भ्रमित जीव को चाहिये,
कृष्ण-कृपा  को पाय
निश्चित हो जीवन सुखी,
सब संशय मिट जाय॥

कृष्ण-कृपा अविचल सुख धाम
कैसा मधुर मनोहर नाम॥

श्याम-श्याम निरंतर गावे
कृष्ण-कृपा  सहजहिं मिल जावे

ध्यावे कृष्ण-कृपा लौ लाय
सुरति दशम द्वार चढ़ि जाय॥

दिखे श्वेत -श्याम प्रकाश
पूरण होय जीव की आस॥

नाश होय अज्ञान अँधेरा।
कृष्ण-कृपा  का होय सवेरा

फेरा जन्म -मरण का छुटे
कृष्ण-कृपा  का आनंद लूटे

कृष्ण-कृपा ही हैं दुःख भंजन
कृष्ण-कृपा काटे भाव -बंधन

कृष्ण-कृपा सब साधन का फल
कृष्ण-कृपा  हैं निर्बल का बल

तीन लोक तिहुँ काल में ,
वैरी रहे ना कोय।
कृष्ण-कृपा हिय धारि के ,
कृष्ण भरोसे होय॥

कृष्ण-कृपा ते मिटे दुरासा
राखो कृष्ण-कृपा की  आसा 

कृष्ण-कृपा ते रोग नसावें
दुःख दारिद्र कभी पास न आवें॥
  
कृष्ण-कृपा मेटे अज्ञान
आत्म-स्वरूप का होवे भान

कृष्ण-कृपा ते भक्ति पावे
मुक्ति सदा दास बन जावे॥

कृष्ण नाम हैं खेवन हार।
कृष्ण-कृपा से हो भव पार

कृष्ण-कृपा ही नैया तेरी
पार लगे पल में भवबेरी

कृष्ण-कृपा ही सच्चा मीत।
कृष्ण-कृपा ते ले जग जीत

माता-पिता,गुरु,बन्धु जान।
कृष्ण-कृपा ते नाता मान

काल आये पर मीत ना,
सुत दारा अरु मित्र।
सदा सहाय श्री कृष्ण-कृपा ,
मन्त्र हैं परम् पवित्र॥

कृष्ण-कृपा बरसे घन-वारी
भक्ति प्रेम की सरसे क्यारी॥

कृष्ण-कृपा  सब दुःख नसावन
होवे तन-मन जीवन पावन॥

कृष्ण-कृपा आत्म की भूख
विषय वासना जावे सूख॥

कृष्ण-कृपा  ते चिंता नाहीं
कृष्ण-कृपा  ही सच्चा साईं

कृष्ण-कृपा दे सत् विश्राम
बोलो कृष्ण-कृपा निशि याम

कृष्ण-कृपा  बिन जीवन व्यर्थ
कृष्ण-कृपा  ते मिटें अनर्थ॥

होये अनर्थ ना जीव का,
कृष्ण-कृपा जो पास
राखो हर पल हृदय में,
कृष्ण-कृपा की आस

कृष्ण-कृपा करो, कृष्ण-कृपा करो
कृष्ण-कृपा करो, कृष्ण-कृपा करो
राधे-कृपा करो, राधे-कृपा करो
राधे-कृपा करो, राधे-कृपा करो
सद्गुरु-कृपा करो, सद्गुरु-कृपा करो
सद्गुरु-कृपा करो, सद्गुरु-कृपा करो
मो-पे कृपा करो, मो-पे कृपा करो ।
मो-पे कृपा करो, सब-पे कृपा करो ॥
  
  श्री  कृष्ण  कृपा  जीवन  मेरा  श्री  कृष्ण   कृपा  मम   प्राण  
श्री  कृष्ण  कृपा  करो  सब  विधि  हो  कल्याण  
श्री  कृष्ण  कृपा  विश्वास  मम  
श्री  कृष्ण  कृपा  ही  प्यास  
रहे  हरपल  हर क्षण   मुझे  श्री  कृष्ण  कृपा  की  आस 
राधा  मम  बाधा  हरो  श्री  कृष्ण  करो  कल्याण 
युगल  छवि  वंदन  करो 
जय  जय  राधे  श्याम 
वृन्दावन  सो  वन  नही  नन्द गांव  सो  गांव 
वंशीवट  सो  वट  नही  श्री  कृष्ण  नाम  सो  नाम 
सब  द्वारन  को छोड़ के  में  आया  तेरे  द्वार 
श्री वृषभानु  की  लाडली  जरा  मेरी  ओर  निहार 
राधे  मेरी  स्वामिनी  मै  राधे जी को दास
जन्म जन्म  मोहे  दीजियो  श्री  वृन्दावन  को  वास 
धन वृन्दावन नाम है,धन वृदावन धाम 
धन वृन्दावन रसिक जन ,सुमरे श्यामा श्याम 
वृन्दावन सो वन नही, नन्द गाव सौ गाव 
वंशी वट सो वट नही ,श्री कृष्ण नाम सो नाम 

सब दारन कू छाड़ी, मै आयो तेरे दावर 
श्री विश्भानु की लाडली जरा मेरी ओर निहार 
राधे मेरी मात है ,पिता मेरे घनश्याम

इन दोनों के चरणों मै, मेरा कोटि कोटिप्रणाम 
इन  दोनों  के  चरणों  मे  मेरा  बार  बार  प्रणाम ...!!!